यह कितनी बड़ी विडम्बना है कि झूठी शान-शौकत और जागरूकता के अभाव में पौष्टिक एवं अच्छे भोजन को हम लोग बेपरवाह होकर बर्बाद कर रहे हैं, जबकि आज पूरी दुनिया में भारी खाद्य संकट मौजूद है। विश्व में आज भी करोड़ों लोग ऐसे हैं, जिनके घरों में प्रत्येक शाम चुल्हा नहीं जलता है और उनके बच्चों को भूखे पेट सोना पड़ता है। दूसरी तरफ, मानव सभ्यता को शर्मसार कर देने वाला तथ्य यह है कि प्रत्येक वर्ष विश्व के विकसित एवं विकासशील देशों में 47 लाख करोड़ रुपये का भोजन बर्बाद किया जा रहा है। यह वह भोजन है जिसको या तो कोई मनुष्य खाए बिना ही
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