हरियाली का पर्याय रहा सम्पूर्ण उत्तर भारत कभी अपनी जीवंत संस्कृति के लिए विश्व-विख्यात रहा है। दूध-दही के सेवन से हष्ट-पुष्ट शरीर, उन्मुक्त हँसी, सादगी और परिश्रम से भरा कृषक जीवन, यही पहचान रही है भारत के इस क्षेत्र वासियों की। यहां के जीवन में उद्दाम मस्ती एवं अनूठा रस घोलने का सर्वाधिक श्रेय प्रकृति माँ को है जिसने वरदान रुप में इस क्षेत्र को पेड़-पौधों की अपार समृध्दि में संजोया है। बरगद, पीपल, आम, अमरुद, जामुन, नीम, शहतूत जैसे असंख्य पेड़ों की जन्मस्थली यहां की धरती सदैव वृन्दावन के कुंजों से प्रतिस्पध्र्दा को उत्सुक रही है।
Be the first to comment on "कहाँ खो गई बरगद पीपल की छाँव?"