देश के आर्थिक आकलन में वनों की पूरी तरह उपेक्षा हुई है। आर्थिक समीक्षा में तो वनों को एक क्षेत्र के रूप में चिन्हित कभी भी नहीं किया गया। इसके बजाय इसे कृषि और मत्स्य से जोड़ दिया गया है। इस क्षेत्र की उत्पादकता का कोई आकलन नहीं है।
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