हरियाली का पर्याय रहा सम्पूर्ण उत्तर भारत कभी अपनी जीवंत संस्कृति के लिए विश्व-विख्यात रहा है …..

 

प्रदूषण के कारण ख़तरे में है जीवन धरती पर

हमारी पृथ्वी के पर्यावरण में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण के कारण न केवल समूची मानव जाति का जीवन दांव पर लगा है बल्कि इससे धरती पर रहने वाले अन्य जीव-जन्तु विशेषकर वनों में रहने वाले वन्य-प्राणियों तथा नदियों में रहने वाले जीव-जन्तुओं का जीवन भी प्रभावित हो रहा है। प्रदूषण से हमारे जल-स्रोत गंदगी से सड़ रहे हैं जबकि हमारी भूमि जहरीले रसायनों से प्रदूषित हो चुकी है। शहरी क्षेत्रों में तो वाहनों एवं उद्योगों से निकले धुंए के कारण वायु प्रदूषण इतना अधिक कहर ढा रहा है कि उसकी वजह से बहुत से लोगों में टी.बी., खांसी, अस्थमा और कैंसर जैसी अनेक जानलेवा बीमारी पनप चुकी हैं। प्रदूषित जल के कारण भारत एवं अन्य विकासशील देशों के लोगों में जलजनित बीमारियां घर कर चुकी हैं। परिणामस्वरूप, यहां के नागरिकों को डॉक्टरों और दवाईयों पर बहुत ज्यादा धन खर्च करना पड़ता है। इतना ही नहीं, ध्वनि से होने वाले प्रदूषण से भी लोगों में बहरापन, चिड़चिड़ापन और मानसिक तनाव जैसे रोगों का प्रकोप बढ़ रहा है। जहां तक आर्थिक परिदृश्य का प्रश्न है, पृथ्वी पर बढ़ रहे पर्यावरण प्रदूषण से विश्व की आर्थिक स्थिति भी बिगड़ती जा रही है। संक्षेप में हम यही कह सकते हैं कि पर्यावरण के प्रदूषण ने मानव जाति को बहुत ही बुरी तरह से प्रभावित किया है। परंतु, इस पृथ्वी पर सभी प्रकार के प्रदूषणों के लिए मनुष्य ही अधिक उत्तरदायी है।

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